मुझे कोई मनाए( हिंदी - कविता) / Mujhe koi manaye (Hindi - poem)
मुझे कोई मनाए/Mujhe koi manaye - Hindi poem
माथे पर छोटी - सी परवाह की एक लकीर लिए
कांधे पर धीमें से अपनेपन का स्पर्श कर,
गालों से फिसलते आंसू पोंछ - गले लगाए
ख्वाहिश थी रूठने पर मुझे कोई मनाए।
नाराजगी में मैं अगर ताव भी दिखाऊं
झूठ मूठ के गुस्से में झटक कर दूर हो जाऊं
तब भी मुस्कुरा कर वो मेरे और पास आए
खवाहिश थी रूठने पर मुझे कोई मनाए।
ना हो जरूरत मुझे किन्हीं शब्दों की
और बयां हो जाए कहानी...
नम आंखों से मेरे अरमानों की।
कुछ इस तरह दुलार की बौछार हो जाए
ख्वाहिश थी रूठने पर मुझे कोई मनाए।
पर ये क्या बात हुई!
चाशनी में डूबे शहर में मेरी रुसवाई हुई।
संगदिल जमाने में,मेरे चंद तजुर्बों में
बस एक ये ही नहीं था मेरी झोली में -
रूठना छोड़ दो..
ना करो तुम इंतज़ार किसी का।
नहीं होते हैं पूरे, कुछ मासूम ख्वाहिशें,
कदम कदम पर होती हैं सिर्फ आजमाईशें।
वक़्त ने बड़े बेरहमी से,ये सबक भी सिखा दिया -
जिंदगी की छोटी सी कश्ती में,
पतवार भी हम हैं।
खेवैया भी हम हैं।
दरिया की गरजती उफनती लहरों में,
गोताखोर भी हम हैं।
हर तूफान से दो- दो हाथ कर के
साहिल पर पैर जमाने वाले भी हम हैं।
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Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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