POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन।
आहिस्ता - आहिस्ता( हिंदी कविता) / Aahista - aahista ( Hindi poem)
रिश्तों की खींचा तानी, भावनाओं के उठते गिरते लहरों के बीच थपेड़ों को सहते हुए जिंदगी में हम बहुत कुछ सीखते हैं,कुछ खोते हैं, कुछ पाते हैं।कुछ उम्मीदों से परे... तो कुछ सपनों से परे।
यही जिंदगी है।
आहिस्ता - आहिस्ता ( हिंदी कविता)
चमकते चांद को आंगन में देख कुछ यूं उतावली हो गई
बरसों घर में जलते दीये और बाती में जालसाजी हो गई।
ना जाने कब,
रौशनी की उज्ज्वल चादर आहिस्ता आहिस्ता स्याह हो गई।।
स्वार्थ और लालच में रिश्तों के बीज खोखली हो गई
असली नकली चेहरों के बाज़ार में सच काली हो गई।
ना जाने कब,
जगमगाते कागजी सितारे तूफान में भीग कर फीके हो गए
जो ओझल थे कहीं धूल में,वो धुल कर मोती हो गए।
ना जाने कब,
ख्वाहिशों की रंगीन चादर आहिस्ता आहिस्ता बदरंग हो गई।।
जिंदगी के सबक सीखते-सीखते खुद एक सबक बन गए
लगते थे कभी सबको सही,अब बस भूल बन कर रह गए।
ना जाने कब,
अपनेपन की मुलायम चादर आहिस्ता आहिस्ता सख्त हो गई।।
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Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
chadar sakht ho gayi apnepan ki ,pankti bahut acchi lagi .acchi lagi kavita.pranaam
ReplyDeleteThank you.
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