POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन।
गर्मी,छाया,हवा पर कविता।
(काव्य विधा - कह मुकरी)
गर्मी,छाया,हवा पर कविता - hindi poem
भोर होते ही तपने लगता
जैसे रात की आग हो सुलगता
देखो तो इसकी बेशर्मी!
कौन सखि साजन? ना सखि गर्मी।
बाहर निकलो घर से, तो लहर जाता
बन्द कमरे में जैसे सब ठहर जाता
चलो मिली तो थोड़ी नरमी
कौन सखि साजन? ना सखि गर्मी।
जब भी वो पास आए
पसीने से तन भीग जाए
तरसा दे ठंडी हवा के लिए जुल्मी
कौन सखि साजन? ना सखि गर्मी।
लस्सी,मिल्क शेक,आम का पन्ना
खूब पिलाता सुबह शाम बन्ना
पर फिर भी लगता वो बैरी
कौन सखि साजन? ना सखि गर्मी।
जब हो खूब घने पेड़ के नीचे
सूरज ना दिखता उसके पीछे
संग अपने ठंडी हवा लाता वो साया
कौन सखि साजन? ना सखि छाया।
चांदनी रात में बिछा हो खटिया
और समय के रथ से गुम हो जाए पहिया
तब हौले से दबे पांव मुझे छूकर भागे मुवा
कौन सखि साजन?ना सखि ठंडी हवा।
:- तारा कुमारी

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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