मातृत्व / Matritwa / Motherhood - A Hindi poem ( हिंदी कविता) / मातृत्व पर कविता
मातृत्व
नन्हीं सी धड़कन जब
स्त्री के कोख में
धड़कनों के संग लय मिलाती है,
वह क्षण स्त्री के लिए
मातृत्व का अनमोल प्रतीति होती है..
स्त्री स्वत: ही मां में परिवर्तित हो जाती है।
मां और अजन्मे बच्चे का
अटूट रिश्ता अंतिम सांस तक बंध जाता है,
सुकोमल रुई के फाहे सी संतानें जब
माता की गोद भर जाते हैं,
तब मां सिर्फ एक स्त्री नहीं..
मौत को मात देकर
स्वयं के अंश की जननी बन जाती है।
मां बच्चे के लिए हर दुख उठाती है
हर खुशियां उन पर निछावर करती है
जीवन की पहली शिक्षिका माता ही तो होती है
हर कठिनाइयों से पार पाने का मंत्र
बड़े प्यार से मां बच्चे को सिखलाती है।
मां की मातृत्व की व्याख्या नि:शब्द है,
जीवन की हर झंझावत की
पहरेदार मां ही तो होती है,
जीवन-मरण के चक्र में..
स्वर्ग भी मां और ईश्वर की किरदार भी मां होती है ।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
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Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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August 18, 2020
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