सपनों की उड़ान
मधु के लिए आसमान से अपने करीब बादलों को देखना सिर्फ ख्वाब पूरा होना नहीं था बल्कि एक जंग जीतने जैसा भी था.. बादलों का कभी समंदर की तरह दिखना कभी असंख्य पहाड़ों की तरह दिखना बहुत रोमांचकारी था.. सूर्य की चमकती किरणें बिलकुल पास प्रतीत होना भी कम रोमांचक न था.
मधु की ये पहली हवाई यात्रा थी. उसने खास तौर से खिड़की वाली सीट खुद के लिए लिया था. इस यात्रा तक पहुंचने में मधु ने कम उतार चढ़ाव नहीं देखे...मधु आज भी अपनी हवाई यात्रा को बार बार याद करती और मुस्करा उठती है.. उसके तन-मन मे एक अजीब सी खुशी की लहर दौड़ जाती... सपने पूरे होने के एहसास की खुशी. अपने आप ही चेहरे पर मुस्कान दौड़ जाती.
जब लॉकडाउन में दूरदर्शन पर रामायण के दुबारा प्रसारण की बात मधु ने सुना तो सहसा उसकी याद ताजा हो गयी और वह मुस्कुरा उठी..
रामायण से एक विशेष जुड़ाव था मधु का.. उसके एक सपने का... बात उन दिनों की है जब मधु सिर्फ सात वर्ष की थी| तब पहली बार रामायण टीवी पर प्रसारित हो रहा था उस समय रामायण का जो क्रेज था, वह देखने लायक था|
लोगों के पास टीवी कम हुआ करते थे, खास कर ग्रामीण इलाकों में | यदि किसी के यहाँ टीवी होता था तो रामायण देखने के लिए सिनेमा हॉल की तरह भीड़ इकठ्ठा हो जाया करती थी|
मधु के घर मे उस वक्त टीवी नहीं था| पड़ोसी के यहां उसका पूरा परिवार रामायण देखने जाता..
उसी दौरान जब रावण के द्वारा पुष्पक विमान से सीता के अपहरण वाला दृश्य प्रसारित किया गया तो वह दृश्य मधु के बालमन में एक छाप छोड़ गया|
और वो छाप थी.. मधु के मन में एक ख्वाहिश को जन्म देना कि उसे भी पुष्पक विमान से दुनिया की सैर करनी है| ऊँचाइयों से दुनिया को देखना... ऊंची - ऊंची इमारतों को ऊपर से देखना.. पहाड़ों, जंगलों को ऊँचाई से देखना.. ये मधु के बालमन में ख़्वाहिश बन कर घर कर गया |उस वक्त मधु का बाल मन हवाई जहाज को नहीं जानता था|
वह मन ही मन जागती आँखों से ख्वाब देखती कि वह पुष्पक विमान की यात्रा कर रही है.. और बड़े बड़े इमारतों और समंदर के ऊपर से गुजर रही है|उसने अपनी ये ख्वाहिश किसी के सामने कभी जाहिर नहीं किया |
वक्त बीतता गया|मधु जब 12 - 13 वर्ष की हुई तो उसे पता चला, रामायण वाली पुष्पक विमान तो अब नहीं मिल सकता| लेकिन हाँ, अब भी मिलते हैं दुनिया में..जो ऊँचाईयों को छु सकते हैं और उनका नाम हवाई जहाज है|
मधु खुश हुई कि वो अपना सपना पूरा कर सकती है|अब.. मधु ,कल्पना और सच्चाई में फर्क करना सीख रही थी|
समय गुज़रता गया|मधु ने हाई स्कूल पास कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर शिक्षक बनने की पूरी तैयारी कर ली.. आखिर वो दिन भी आया जब उसे स्कूल टीचर बनने का मौका मिल गया और मधु ने अपनी कमाई से हवाई यात्रा का प्लान किया|मधु बहुत खुश थी |
मधु उस दिन चहक रही थी, जब उसे एयरपोर्ट जाना था|पहली बार उसने एयरपोर्ट को देखा और चेक ईन किया.. आज उसके पैर हवाई जहाज में यात्रा करने से पहले ही हवा में थे.
मधु ने घूम घूम कर एयरपोर्ट देखा तथा अनाउंसमेंट को ध्यान से सुना तथा उसके अनुसार सारी औपचारिकताएं पूरी की |उसके बाद एक पल ऐसा आया जब मधु को हवाई जहाज में बैठने की बारी आयी| मधु ने धड़कते दिल से हवाई जहाज पर अपना कदम रखा और अपनी सीट पर बैठी| और बेसब्री से हवाई जहाज के उड़ने की प्रतीक्षा करने लगी...
सभी यात्रियों के जहाज पर बैठते ही एयर होस्टेस ने अनाउंस करना शुरू किया|मधु ने सारे अनाउंसमेंट ध्यानपूर्वक सुनी| उसके बाद जैसे ही हवाई जहाज ने टेक ऑफ किया, मधु रोमांच से भर गयी|जमीन से दूर होते ही लोग छोटे दिखने लगे, इमारतें छोटी दिखने लगी |हवाई जहाज आसमान में उड़ान भर चुका था| मधु खिड़की से रोमांचित होकर सारे नजारों को अपनी आँखों में कैद करने लगी|
आज उसकी बचपन की ख्वाहिश.. पुष्पक विमान से यात्रा करने का सपना पूरा हो चला था| रावण की पुष्पक विमान से हवाई जहाज तक की उसकी यात्रा पूरी हो गई थी|आज मधु की आँखें सपने पूरे होने के एहसास से चमक रहे थे |
(स्वरचित)
:-तारा कुमारी
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