डायरी Diary - A Hindi Short Story

POETRY IN HINDI - कविताओं,कहानियों,लेख, कोट्स का संकलन।

Short - story ( दिल को छूने वाली एक छोटी कहानी ) :- 

डायरी / Diary - Hindi short story. 

(कई बार ऐसा होता है कि हम जाने-अनजाने परिवार में कुछ ऐसा कर या कह जाते हैं जो बच्चों पर क्या और कितना असर करते हैं हमें अंदाजा नहीं होता| ऐसे ही एक घटना को बयान करती यह कहानी आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है|)

डायरी diary short hindi story

 डायरी 

सहसा, ठीक पीछे किसी के होने की आहट से मालती ने पलट कर देखा तो 10 वर्षीय उसका पुत्र अंकित आंखों में निश्छलता लिए कुर्सी के पीछे खड़ा मुस्कुरा रहा था |

रोज पूरे दिन की अपनी दिनचर्या पूरी करके घर की जिम्मेदारियों से निपट कर रात में सोने से पहले डायरी लिखना मालती की दिनचर्या में शामिल थी| मालती ने अपनी डायरी बंद करते हुए बेटे से पूछा - नींद नहीं आ रही है?

"मम्मी, क्या मुझे एक डायरी मिल सकती है? मुझे भी आपकी तरह जरूरी बातों को डायरी में लिखना है।" जवाब में अंकित ने एक सांस में ही अपनी बात कह दी |

अंकित की बातें सुनकर मालती ने बेटे को स्नेहपूर्वक देखते हुए पास पड़ी एक नई डायरी उठाकर उसके हाथों में थमा दिया । डायरी  देखते ही अंकित की आंखों में चमक आ गई| वह खुशी से "थैंक्यू मम्मी" कह कर कमरे से तेजी से निकल गया|

    बेटे को जाते  देखने के साथ ही मालती की नजर दीवार पर लगी घड़ी पर पड़ी| रात के 10:00 बज रहे थे| जल्दी जल्दी सब कुछ समेट कर बिस्तर पर आकर लेट गई| पास में छोटा बेटा अब तक सो चुका था, वह 6 वर्ष का है|

    लगभग 1 महीने के बाद | रोज की तरह मालती सुबह अंकित के कमरे में झाड़ू लगाने आई | उसके बुक शेल्फ कुछ बिखरे से थे| अंकित हॉल में अपनी पसंदीदा सीरियल पावर रेंजर्स देखने में मग्न था।
 "ये बच्चे भी ना" - बिखरे शेल्फ को देखकर मालती थोड़ा झुंझलायी |फिर उसे समेटने लगी| तभी कोने में सबसे किनारे उसकी डायरी पड़ी दिखी जो मालती ने दिया था |

मालती के हाथ स्वत: ही डायरी पर चले गये |उत्सुकता हुई कि एक छोटे से बच्चे ने डायरी का आखिर क्या किया होगा ? कुछ पल तो असमंजस में पड़ी मालती देखती रही| फिर मालती ने डायरी खोल ही लििया |

पहले पन्ने पर अंकित ने अपना नाम लिखा था| साथ ही पास में कुछ डिजाइंस भी बनाकर खूबसूरत बनाने की उसने कोशिश की थी, आखिर उसकी अपनी डायरी जो थी|

मालती मन ही मन मुस्कुराई|

मालती ने दूसरा पन्ना पलटा |उसमें सिर्फ एक पंक्ति लिखी हुई थी, तारीख के साथ -
"मेरी मां आज बहुत रो रही थी"|

 यह पढ़ते ही मालती के जेहन में बिजली सी कौंधी| और हृदय में एक तीर - सा कुछ बेध गया|

मालती धप से पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गई |आंखों में 3 दिन पहले की घटना याद आ गई| मालती जोर जोर से रो रही थी, बिना किसी आवाज के| खुद को कमरे में बंद करके, सबसे छुपकर, सबसे छुपा कर|

लेकिन क्या वह सब से छुपा पाई?

शायद बेटे ने देख लिया था |बेटे से मां का दुख देखा नहीं गया| कह तो नहीं पाया कुछ |लेकिन उसके लिए यह बात सबसे जरूरी बात बन गई |जिसे उसने अपनी नन्हें उंगलियों से कलम उठा कर अपनी डायरी में उकेरते हुए एक पन्ना दे डाला|

यह देखकर मालती की आंखें गीली हो गई| उसने डायरी अपने सीने से लगा लिया|


 (स्वरचित)
: तारा कुमारी

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Short-story
April 12, 2020
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