Neh ki ek boond नेह की एक बूंद - A hindi poem


POETRY IN HINDI  :- कविताओं का संकलन।

नेह की एक बूंद - हिंदी कविता / Neh ki ek boond - poem in hindi
Neh ki ek boond

नेह की एक  बूंद 

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चलते - चलते बस चलते ही रह गए,

ना सफर थमी न मंजिल मिली।


ख्वाब देखा जगमगाते सितारों की,

ना जुगनू हाथ आए न रोशनी मिली।


आरजू थी बहारों का एक चमन मिले,

ना खुला आसमां मिला न जमीं मिली।


प्यासा था अंतर्मन नेह की एक बूंद के लिए,

ना कोई समंदर मिला न कोई बारिश मिली।


भावनाओं के भंवर में कैद होते चले गए,

ना कोई दरवाजा मिला न कोई  खिड़की मिली।


तन्हा,अश्कों में दर्द को घोलते रहे हर शाम

ना सुकून की मौत मिली न जिंदगी मिली।


टीस उठती रही सीने में लहरों की तरह

ना साहिल मिला न कोई कश्ती मिली।


जब भी लगा कि तलाश पूरी हो गई

जख्म और गहरा, और आस टूटी मिली।

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April 23, 2022
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