अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता(हिंदी कविता)/ Antarashtreey Mahila diwas(hindi poem) / Poem on women's day.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता( International women's day)
तोड़ लो मुझे चाहे जितना
निरीह प्राणी जानकर,
लांछन लगा लो चाहे जितना
अबला स्त्री मानकर।
जब हाथ ना लगा सके तो,
अंतर्मन की दृढ़ता पर
प्रहार कर शीश झुकाने की
कर लो कोशिशें चाहे जितनी।
चोट खाकर हीरे-सी कठोर
रूप धर चुकी हूं मैं,
पहले से और भी खूबसूरत
हो चुकी हूं मैं।
फ़र्क करना सिखा दिया है
वक़्त और जमाने ने,
किस बात को हृदय से लगाना है
किसे दूर से ही इंकार कर देना है।
अब ना चलेगा कोई छल तुम्हारा
मेरी सरल भावनाओं पर,
ना होंगी आहत अब मेरा कोमल मन
विषैले, मिथ्या दंभ और कटु वचनों से।
लगा लो जोर अब और कहीं..
जिसे खिलौने वाली गुड़िया
समझ कर खेलते थे अब तक,
वो जीती जागती नारी है।
नाज़ुक है लेकिन
आग भी है स्त्री,
जब खुद पर आ जाए तो
आ ना जाए तेरी शामत कहीं।
दया ,ममता और करुणा
की देवी है स्त्री,
प्रेम और आदर की
पात्र है स्त्री।
जीवन पर बराबरी का अधिकार
रखती है स्त्री।।

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
Comments
Post a Comment