मुड़ कर ना देखना अब पीछे कभी - हिंदी कविता / Mudkar na dekhna ab pichhe kabhi - Hindi poem
(आगे बढ़ो - move on... आसानी से लोग ये शब्द कह जाते हैं लेकिन चाहे कोई भी परिस्थिति क्यूं ना हो ,उससे निकल कर आगे बढ़ना आसान कभी नहीं होता।एक कदम आगे बढ़ाओ तो चार कदम कई कारणों, भावनाओं ,परिस्थितियों के दबाव में पीछे की ओर वापस खींच जाते हैं।लेकिन जब वजह हमारे और सबके भले की बात हो ,आत्म - सम्मान की बात हो तो बेशक आगे बढ़ना ही बेहतर होता है।)
मुड़ कर ना देखना अब पीछे कभी
जो ना देख सके तुम्हारे आंखों में नमी
क्यूं खलना,जीवन में उसकी कमी!
जब वो है ही नहीं, ना आसमा ना तेरी जमीं।
मुड़ कर ना देखना अब पीछे कभी।।
सह लिया तुमने कई हृदय आघात
मन को मिली है सिर्फ कुठाराघात
नहीं है ये जीने का सलीका।
मुड़ कर ना देखना अब पीछे कभी।।
प्रेम को चुन कर खो दिया है तुमने खुदको
समेट कर आत्म - सम्मान को अब आंचल में
खुद की बन जा और चल निकल बाकी के सफर में।
हां..मुड़ कर ना देखना अब पीछे कभी
जो ना देख सके तुम्हारे आंखों में नमी
क्यूं खलना,जीवन में उसकी कमी!
जब वो है ही नहीं, ना आसमा ना तेरी जमीं।।
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
Related Posts
Determination
May 12, 2021
0
Comments
Post a Comment