बे सिर पैर की ख्वाहिशें be sir pair ki khawahishen - Hindi poem

बे सिर पैर की ख्वाहिशें - हिंदी कविता/

Be sir pair ki khawahishen - Hindi poem.

be sir pair ki khawahishen


बे सिर पैर की ख्वाहिशें

बस इतनी सी थी आरजू ,

कि मुझे जब दर्द हो...

उनके दिल में दस्तक हो।

 

अगर रूठ जाऊं मैं,

जमीं आसमां एक कर दे वो..

रिश्ते में कुछ ऐसी बात हो।


 मेरे उल्टे सीधे अल्फाजों में भी, 

 बेइंतेहा प्यार ढूंढ़ ले जो..

 ऐसी नज़रें मुझपे इनायत हो।


 नाज़ नखरे और झगड़ों के बीच

बारी जब साथ देने की आए.. 

तो दोनों ओर से उल्फत हो।


आए थे जमाने में जुदा-जुदा

लेकिन जब जाने की बात हो..

रुखसत के लम्हों में वो मेरे पास हो।

(स्वरचित)
:- तारा कुमारी

(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)


मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।

life poem
March 30, 2021
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