दिल मेरा यूँ छलनी हुआ
तेरे पहलू में आकर भी चैन ना मिलातलाश थी राहत की
दिल के बोझ को तुझसे बांट कर
कम करने की
रोये हम तेरे बाजुओं में टूट कर
फिर भी दिल को आराम ना मिला
जो तेरे अंदर मेरे लिये शक़ से हम हुए रूबरू
सुकून ए दिल और कहीं ज्यादा गुम हुआ
ग़म के बोझ को सहा ना गया हमसे
दिल मेरा यूँ छलनी हुआ
जो टूट कर बिखरे ऐसे
कि दोबारा हमसे खुदको समेटा ना गया
ख्वाहिश थी चमन में खुशबू बन कर महकने की
सौ टुकड़ों में बांट कर बिखेरा गया..!
(स्वरचित)
:-तारा कुमारी
Heart touching
ReplyDeleteThank you
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