दिल के बोझ को तुझसे बांट कर
कम करने की
रोये हम तेरे बाजुओं में टूट कर
फिर भी दिल को आराम ना मिला
जो तेरे अंदर मेरे लिये शक़ से हम हुए रूबरू
सुकून ए दिल और कहीं ज्यादा गुम हुआ
ग़म के बोझ को सहा ना गया हमसे
दिल मेरा यूँ छलनी हुआ..
जो टूट कर बिखरे ऐसे
कि दोबारा हमसे खुदको समेटा ना गया।
ख्वाहिश थी चमन में
खुशबू बन कर महकने की,
सौ टुकड़ों में बांट कर
कागज के पुलिंदों की तरह
आसमां में बिखेरा गया..!
(स्वरचित)
:-तारा कुमारी
(स्वरचित)
:-तारा कुमारी
More poems you may like :-

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
Related Posts
Heart broken poem
June 09, 2020
2
Heart touching
ReplyDeleteThank you
Delete