होली Holi - a hindi poem

POETRY IN HINDI  :- कविताओं का संकलन।

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Poetry in hindi Holi par kavita

(सिंहनीवाला)देहरादून, उत्तराखंड से रचनाकार - सुखदेव प्रसाद गौड़ की कविता :-

होली 

भोर सुहानी छटा निराली,प्यारी सी वो घटा घिरी थी;

चली फुहार यूं मंद पवन की,सतरंगी किरणें निखरी थी।

        

चहक चहक कर चिड़िया बोली,आई कितनी प्यारी होली;

 रंग - बिरंगी दुनिया सारी, लाए रंग भरी पिचकारी।


खेलें - कूदें ,नाचे - गाएं,मिलकर सबको गले लगाएं;

प्यार भरा त्योहार है अपना,मिलकर खुशी लुटाएं।


         कुछ तो मिलकर बांट रहे थे , हंसी -खुशी ,दुख - दर्द को अपना;

     माया नगरी में कुछ अपना,देख रहे थे मीठा सपना।


आकर कोई मुझे जगाया,मैं था गहरी नींद में सोया;

रंग लगाया ,गले लगाया और सबने त्योहार मनाया।


          आंख  खुली तो फोन भी अपना, अलार्म बजा रहा था;

          घर में कोई अपना भी त्योहार मना रहा था।


:- रचनाकार - 
सुखदेव प्रसाद गौड़
मो. नं. -7085701565

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