आजादी आजाद प्रेम प्यार
POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन।
आजादी - हिंदी कविता /Aazadi - Hindi poem
आज़ादी
महसूस होने लगा था मुझे
मुझसे दूरी की चाहत थी तुम्हें
लेकिन तुम्हें तो,
बुरा भी नहीं बनना था ।
कभी काम की उधेड़बुन,
कभी सेहत की उलझन,
कभी अपनों की चिंता,
अक्सर तुम्हें सताने लगी थी।
कभी कभी तो मैं ही तुम्हारे
तनाव का कारण बनने लगी थी।
कल तक लगती थी मैं
सबसे जरूरी और सबसे प्यारी तुम्हें
आज प्राथमिकताएं बदलने लगी थी।
माना कि वक्त बदलता है
मौसम बदलते हैं
शहर भी बदल जाते हैं
धीरे - धीरे मेरी मुस्कुराहटें भी
आंसुओं में बदलने लगी थी।
खुद में सिमटती कहीं दूर मैं
तुम्हारी दुनिया से भी अब ओझल होने लगी।
मैं तुम्हारी अपनी थी या कोई पराई!
ये बात मुझे कभी समझ ही नहीं आई।
कल तक जहां सिर्फ
नजरों से दूर थी मैं,
अब तुम्हारे ख्यालों और
ख्वाबों से भी मिटने लगी ।
शनै - शनै इस सन्नाटे में
तुम्हारी दुनिया
फिर से बड़ी होने लगी ।
और इस अनकहे,
अकेलेपन के एक कोने में,
मेरा दम खामोशी की चादर में घुटने लगा।
क्या कभी एहसास नहीं हुआ तुम्हें?
मेरी छोटी-सी दुनिया के
सबसे ख़ास किरदार थे तुम!
मेरा प्रेम ही नहीं,
मेरा सर्वस्व थे तुम।
पर ,यह क्या!
अंतत:,
दो विकल्प छोड़ा तुमने,
तुम्हारा वो नेह से पूर्ण आलिंगन,
जो बंजर में भी हरियाली भर देता।
लेकिन,
मेरे हिस्से में तो ये भी नहीं था।
जीवन भर अपनी खुशियों को
पीछे रखने की आदत भला
अभी छूटी कहां थी मेरी?
ईश्वर ने एक अवसर फिर से दिया मुझे।
तुम्हें, मुझसे आजादी चाहिए थी न!
लो,दिया मैंने तुम्हें तुम्हारी आजादी।
और तुमसे जुड़ी मेरी हर उम्मीदों को
तुम्हारी खुशियों के साए में छुपा कर
खुद को तुम में विलीन कर लिया।।
अब तो खुश हो न तुम!
~~~~~
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)
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