POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन।
भर्त्सना/ धिक्कार/ फटकार(हिंदी कविता) / Bhartsana /Dhikkar/Fatkaar (hindi poem)
भर्त्सना /धिक्कार/फटकार
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अहंकार,ईर्ष्या,क्रोध और प्रतिशोध
यही हैं तुम्हारे प्रिय आभूषण
प्रेम के नाम पर नित अपनों को
इन्हें ही भेंट स्वरूप देते हो तुम अकारण।
दया, स्नेह और करुणा
बनके उमड़ते हो तब तक ही
जब तक तुम्हारी मिथ्या दंभ को
मिलता है खाद- पानी और पोषण।
मौसम भी न बदलता होगा जितने रंग
उतने रंग बदलते हो तुम दोहरी किरदार में
कहते कुछ हो और करते कुछ हो
दो पल में ही खेल जाते हो नफरत के जंग।
शर्तों पर पूरी होती है प्रेम तुम्हारा
मेरी बात जहां आ जाती है
तुम्हारी सारी मनुष्यता और न्याय
जानें क्यों साथ छोड़ जाती है?
गलत को गलत कहने का
साहस नहीं रत्ती भर भी तुम में
सही को सही कहां तुम
कभी कह पाओगे इस जन्म में!
कभी तो खुदको झांक लेते तुम
सच के आईने में खुद से मिल पाते तुम
अपने अविश्वास और नकारात्मकता की
अनुकृति दिखती है तुम्हें
मेरे समर्पित और निश्चल प्रेम में।
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:- तारा कुमारी।

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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