थोड़ा और की चाह ( हिंदी कविता)/ Thoda aur ki chah(Hindi Poem)
( कभी कभी हम उन खुशियों को नहीं देख पाते या उनकी कद्र नहीं करते जो हमारे आस पास होती हैं।हमें ज्यादा की चाह इतनी हो जाती है कि कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं चाहे वो रास्ता गलत ही क्यूं ना हो, जो बाद में हमें सिर्फ बदले में दुख देती है।
जीवन में सुख दुख आते रहते हैं। हमें उनका समान रूप से स्वागत करना चाहिए और अडिग होकर अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।जो कमजोर हो जाते हैं वो सब कुछ खो देते हैं।)
इन्हीं भावनाओं को उकेरती ये कविता प्रस्तुत है:-
थोड़ा और की चाह
थोड़ा और की चाह में
जो पास है वो मत गवाना,
अथाह खुशियों की चाह में
कहीं गमों को ना समेट लेना।
छोटी छोटी खुशियां भी
जिंदगी में रंग भर देती हैं,
थोड़ा और की जिद, इसमें
कड़वाहट घोल देती है।
जैसे दिन के बाद रात आती है
खुशियां भी अपना रंग बदलती है,
कभी उदासी कभी आंसू बनकर
जीवन के रंगमंच में भूमिका निभाती है।
थोड़ा सब्र कर जिंदगी के टेढ़े मोड़ पर
कर ले हर पल की तू बंदगी,
तपकर तू बनेगा एक दिन सोना
विकल होकर खुदको मत खोना।
रास्ते में नहीं बिछे होंगे फूल सदा
कांटे भी मिलेंगे फूलों के साथ,
दोनों जरूरी हैं सफर में..
यही तो है जीवन की फलसफा।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)
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2)कश्मकश

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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