Poetry in Hindi - कविताओं का संकलन।
(Bechainiyan par kavita) बेचैनियाँ पर कविता - हिंदी कविता/ poem in hindi.
मन के कोलाहल को दुनिया न देख पाती है ना सुन पाती है।कई बार हम इस चक्रव्यूह में घिरकर बस दुनिया भर की बेचैनियों को खामोशी से महसूस करते हैं।कुछ ऐसे ही भावों से पूर्ण ये कविता प्रस्तुत है -
बेचैनियों को जिम्मेदारियों से सिलकर रखा था हमने
उघड़ गए धागे सब्र के टूट जाने से।
छोटी दरिया समझा था जिस दर्द को हमने,
वो दुखती रगों का एक समंदर निकला।
ये क्या करम है ऐ खुदाया
एक परछाई के पीछे पीछे
हम चलते रहे और वो ,
सिर्फ हमारा एक भरम निकला।
अब न हम चैन से सोते हैं
भीड़ में भी तन्हा, गुम से होते हैं।
ढूंढा जो खुदको हर जगह,
पछतावे में झुलसा ये तन - मन निकला।
कैसे संभालें इस तूफान को
खामोश है मगर बहुत शोर है इसमें।
तलाशा जो मुस्कुराने का राज तो,
जिंदगी में बस सुकून होना जरूरी निकला।
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Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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