विविध - अभिव्यक्ति :-
POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन।
निशिकांत देवर्थ जी की रचना " विरुद्ध " (story with poem) का एक बेहतरीन अंश,कविता के रूप में...
विरुद्ध - हिंदी कविता (Hindi Kavita / Hindi poem)
खुदको ज़िंदा समझते हैं पर ज़िंदा ये नहीं हैं,
अगर यही सच में जीना है, तो मर जाना ही सही है।
क्यों मजबूर हैं खुदसे इतने क्यों हर पल शर्मिंदा है,
आत्मा कब की मर गयी बस कहने को ही ज़िंदा हैं।
हर रोज़ खुदकी लाश उठा कंधे पर निकल जाते हैं,
दुनिया की बेमतलब ज़िद में जल कर पिघल जाते हैं।
क्यों कोई आवाज नहीं उठाता, क्यों सब बेज़ुबान हैं,
बस कुछ लोगों के गुलाम हो और इसी का उन्हें गुमान है।
हर बार हर किसी को यही सहना पड़ता है,
जो दुनिया सिखाए बस वही कहना पड़ता है।
जो ना माने इन बंधनों को बागी वो कहलाया है,
इसी तरह इस दुनिया ने धोखे से उसे जलाया है।
क्यों ये नहीं चाहते बदलाव आखिर क्या बुराई है,
जीना तो उसने भी ना सिखाया जिसने दुनिया बनाई है,
क्यों खुदको समझे ये खुदा, ये किसी के खुदा नहीं है,
अगर यही सच में जीना है तो मर जाना ही सही है।।
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(पूरी रचना पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें - विरुद्ध )
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Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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