कविता की छटा (हिंदी कविता) kavita ki chhata (Hindi poem)
कविता क्या है?
इसका उत्तर सीमित नहीं हो सकता।यह वो रोशनी है जिसकी चमक अलग अलग रूपों में हम तक पहुंचती है।इसकी छटा को चंद शब्दों में कविता के रूप में ही उकेरने की छोटी सी कोशिश करते हुए ये कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है :-
कविता की छटा - Hindi poem
मन के भावों को जो पंख दे दे
वो सशक्त अभिव्यक्ति की दुनिया है कविता।
शब्दों की खूबसूरत धागे में गुंथी
एक सुगंधित हार है कविता।
खूबसूरत फूलों के बागों में
परियों की कहानी है कविता।
सूरज की खिलती धूप में नहाती
चांद की चांदनी बनकर खिलखिलाती,
मूक अमूक सब की भाषा बनकर
शब्दों से जीवंत दृश्यों का सृजन करती है कविता।
कवि की सतरंगी कल्पना बन कर
कल्पना के विहंगम सैर कराती है कविता।
कविता कभी सुकोमल, कभी मनभावन,
कभी कवि के सुख - दुख को,
कभी जनमानस के मर्म को ऊकेरती..
हृदय को है ये झकझोरती।
प्रेम, दुख, क्रोध,वीरता और
कभी प्रतिकार की संदेशा है कविता।
कभी छंद कभी मुक्तक कभी दोहा बन
कई विधाओं में, मन को शीतल करती है कविता।
कभी वीर रस, कभी ओज रस में डुबकी लगाकर
सम्पूर्ण समाज को राह दिखाती है कविता।
ममता से छलकती शब्दों की बेली बन जाती कभी,
कभी रूष्ट शब्दों की गर्जना से भूचाल ला देती है कविता।
जग में फैले अज्ञान के अंधियारे को
शब्दों से रोशन करती है कविता।
बच्चे बूढ़ों नव युवकों के मन में समा कर
नई सोच की नींव गढ़ती है कविता।
प्रेरणा का दीप बनकर जनमानस में
जीवन मूल्यों की किरणें बिखेरती है कविता।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
(छटा - शोभा,छवि,चमक,दीप्ति)
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)
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Nice....
ReplyDeleteI loved it...
Thank you very much.
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