Poetry in Hindi - कविताओं का संकलन।
रिश्तों में चोरी - हिंदी कविता /Rishton mein chori - poem in Hindi.
दिल्ली से विवेक शर्मा की लिखी एक सुंदर कविता :-
---- रिश्तों की चोरी ----
कल मेरे घर में चोरी हुई थी,
कोई विश्वास का दरवाज़ा तोड़,
दिन दहाड़े आया था ।
भरोसे की अलमारी से ,
उसने सारे अहसास चुरा लिए ।
प्रेम के पर्स में से उसने,
ग़ैरत के नोट उठा लिए।
कोई जाना पहचाना रहा होगा,
क्योंकि उसे हर जगह पता थी।
ना लाज़ अपनी जगह मिली,
उम्मीद भी लापता थी ।
शर्म-ओ-हया के ज़ेवर ग़ायब थे ,
जीवन मूल्यों के गहने ग़ायब थे।
यक़ीन की जमापूँजी भी चुरा ले गया वो,
सभ्यता की मुद्रा भी उठा ले गया वो।
ख़ैर हमारे पास ये दौलत,
फिर से अर्जित हो जाएगी।
चोरी जिसने की, भला ये चीजें
उसके काम क्या आएँगी ???
:-विवेक शर्मा
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विविध अभिव्यक्ति ( कहानी ,लेख आदि):-

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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