Poetry in Hindi - कविताओं का संकलन।
मेरी मुहब्बत इतनी खूबसूरत ना थी (हिंदी कविता) /Meri muhabbat itni khubsurat na thi - Hindi poem
कहते हैं.. मुहब्बत दुनिया की सबसे खूबसूरत तोहफ़ा है।कोई कहता है .. मुहब्बत आग का दरिया है।किसी के लिए हसीन दुनिया तो किसी के लिए बर्बादी का रास्ता।जितने लोग उतनी ही बातें उतने ही अनुभव। लेकिन जितनी भी बातें कर ले जमाने भर में लोग.. इस मुहब्बत के बिना बात पूरी होती ही नहीं।मुहब्बत के कई रंगों में से एक रंग को बयां करती चंद लाइनें आपके समक्ष प्रस्तुत है:-
मेरी मुहब्बत इतनी खूबसूरत ना थी।
मुझे नहीं आता था दर्द सहना
दौड़ी चली आती थी तुम्हारे पास
मुझे नहीं आता था चोट छुपाना
दिखा दिया करती थी हर उदासी
प्यार के दो बोल और साथ र1हो हर पल
इस एहसास को पाने की जिद करती थी
और इस जिद में कई गलतियां कर जाती थी..
मुझे पता है ,
दिखा दिया करती थी हर उदासी
प्यार के दो बोल और साथ र1हो हर पल
इस एहसास को पाने की जिद करती थी
और इस जिद में कई गलतियां कर जाती थी..
मुझे पता है ,
मेरी मुहब्बत इतनी खूबसूरत ना थी।
दूसरों के लिए तुम्हारा वक़्त देना
और मेरे लिए मजबूरियां गिनाना
कतई ना भाता था मुझे
रूठके कर बैठती थी शिकायतें
मनाने के बजाय बेरुखी दिखाते थे तुम
मुझे नहीं आता था इसे बर्दाश्त करना
बोल जाती थी बुरा भला मैं तुम्हें..
मुझे पता है ,
मेरी मुहब्बत इतनी खूबसूरत ना थी।
तुम्हारी उदासी देख मैं रो पड़ती थी
पता ना होता था क्या करूं मैं लेकिन
सब कुछ तुम पर न्योछावर कर जाती थी
तुम्हारी एक मुस्कान के लिए दिल ही दिल में
रब से हजारों दुवाएं मांग लेती थी
नहीं कहा तुमसे कभी ये सब मैंने
लेकिन क्या देखा नहीं ये सब कभी तुमने?
मुझे पता है ,
पता ना होता था क्या करूं मैं लेकिन
सब कुछ तुम पर न्योछावर कर जाती थी
तुम्हारी एक मुस्कान के लिए दिल ही दिल में
रब से हजारों दुवाएं मांग लेती थी
नहीं कहा तुमसे कभी ये सब मैंने
लेकिन क्या देखा नहीं ये सब कभी तुमने?
मुझे पता है ,
मेरी मुहब्बत इतनी खूबसूरत ना थी।
जब भी होते थे खुश तुम, मैं खिल जाया करती थी
जब कह दिया तुमने - मैं नहीं तुम्हारी सुकून की वजह
ना हूं तुम्हारी खुशियों की वजह।
मुरझा गई मैं ..
यकीन ना हुआ उन शब्दों पर
जब भी होते थे खुश तुम, मैं खिल जाया करती थी
जब कह दिया तुमने - मैं नहीं तुम्हारी सुकून की वजह
ना हूं तुम्हारी खुशियों की वजह।
मुरझा गई मैं ..
यकीन ना हुआ उन शब्दों पर
अब हर रोज इस कड़वे सच को
गले लगाकर आंसुओं से मुलाकात कर लेती हूं।
मुझे पता है ,
गले लगाकर आंसुओं से मुलाकात कर लेती हूं।
मुझे पता है ,
मेरी मुहब्बत इतनी खूबसूरत ना थी।
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)
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विविध अभिव्यक्ति ( कहानी ,लेख आदि):-

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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