तेरा चेहरा Tera chehra - A hindi poem

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तेरा चेहरा(हिंदी कविता)/Tera chehra - A Hindi poem

Poetryinhindi tera chehra

गोपालगंज,बिहार से परवेज़ आलम की कविता :-

तेरा चेहरा

अगर तुम्हें कुछ दोबारा कहना था
कह देते तेरा मेरे सांसों पर पहरा था।

ना हुए मेरे तो कोई रंज न रहा
अपने दामन पे जिद्दी दागों का एक सेहरा था।
 
अफवाहों का क्या ये तो उड़ती रहती हैं
तुम रहते हमारे साथ अगर तुम्हें रहना था।

तेरी उलझन मुझे खाए जाती है अक्सर
अब वो दवा काम करती नहीं जिसे काम करना था।

इश्क टूटा तो मोहब्बत का अंदाजा लगा
मेरे पास आज भी तेरा चेहरा है,
कल भी तेरा चेहरा था।

    (स्वरचित)
:- परवेज़ आलम
गोपालगंज, बिहार।

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December 18, 2021
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