हम और वो Hum aur wo - Hindi poem

  

हम और वो(हिंदी कविता)/ hum aur wo ( Hindi poem)


Hum aur wo



हम और वो

हम रात भर करवटें बदलते रहे 

और वो सुकून की नींद सोते रहे।


हम याद में उनकी आंसू बहाते रहे

और वो हमारे लिए बेफिक्र हो, मुस्कुराते रहे।


हम हर बात में उनपे प्यार जताते रहे

और वो हर कदम पे बेरुखी दिखाते रहे।


हम अपनी हर खुशी उनपे न्योछावर करते रहे

और वो जहरीले बीज अपने दिल में बोते रहे।


हम हर गम को खुशी समझ सीने से लगाते रहे

और वो पहले से ज्यादा, हमसे अजनबी होते गए।


हम वक्त के साथ उनके और करीब होते रहे

और वो खामोशी से हमसे दूर होते रहे।


हम प्रेम के सागर में एहसासों से खुदको भिगोते रहे

और वो रिमझिम फुहारों में दूजे के संग भीगते रहे।


विरह में उनके हम, दिन रात जलते रहे

और वो अपनों के संग,खुशियों के दिए जलाते रहे।

(स्वरचित)
:- तारा कुमारी

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मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।

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September 30, 2021
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