ना जाने क्या है ये - हिंदी कविता / Na jaane Kya hai ye - Hindi Poem
(जीवन है तो जीवन के हर रंग होंगे ही,हम चाह कर भी इनसे बच नहीं सकते।लेकिन कभी कभी उलझनें हमें इस कदर अप्रत्याशित पलों को सामने रख देती है जो हमें उदास कर देती है। कुछ देर के लिए हम हतप्रभ से परिस्थितियों को सिर्फ देखते रह जाते हैं।)
इन्हीं भावनाओं को ओढ़े ये छोटी सी कविता प्रस्तुत है:-
ना जाने क्या है ये
आज मन क्यूं भारी सा है,
कहीं कुछ खाली खाली सा है।
दिल के कमरे में उदासी सी है
अंखियों के झरोखों में नमी सी है।
चुपके से पड़ी कोई दरार सी है
घुटी सिमटी एक खामोशी सी है।
यादों की धुंधली परत बिखरी सी है
कहीं किसी की चुप्पी चुभती सी है।
रह रह कर कुछ कचोटता है,
उम्मीदों का दीया बुझता सा है।
कहीं कभी कोई शब्द झकझोरती है,
तो कभी, अंधियारे में रोशनी की तलाश सी है ।
ना जाने क्या है ये...
जीवन के अप्रत्याशित यात्रा में
कई उलझनें, झूलती सवाल सी है।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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