होली की खुमारी - हिंदी कविता/ Holi ki khumaari - Hindi poem
होली की खुमारी
मन में है होली की खुमारी,
पर भूल ना जाना सामाजिक दूरी।
नासपीटे कॉरोना ने त्यौहार में खलल है डाली,
प्रक्षालक और नासिकामुखसंरक्षक कीटाणुरोधी
वायुछानक वस्त्र डोरी युक्त पट्टिका ने खतरे को है टाली।
राग, द्वेष और बैर को गुलाल संग हवा में उड़ा कर,
प्रेम ,स्नेह और अपनेपन की खुशबू चौतरफा महका कर।
दुख व कटु अनुभवों को रंगों में धोकर
भाईचारे का संदेश हृदय में प्रस्फुटित कर।
नई उमंग और खुशियों को गले लगाना है,
मिलकर..पैर पसारती कोरोना को दूर भगाना है ।
माना,मन में है होली की खुमारी
पर अपनी सुरक्षा भी है बहुत जरूरी।
दो गज की रहे दूरी,पर रहे ना दिलों में दूरी
कर लो ऐसे ही.. मन के भावों को पूरी।

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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