तुम अगर चाहो Tum agar chaho - Hindi poem


 Poetry in hindi (कविताओं का संकलन)

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तुम अगर चाहो (हिंदी कविता)/ Tum agar chaho (Hindi poem) 

Agar tum chaho


बिहार (गोपालगंज) से परवेज़ आलम की कविता। 

    तुम अगर चाहो (poetry in hindi)


 है  इतनी  उलझन  कि  बताया  नहीं जा सकता 

दीवार मिट्टी का है मगर गिराया नहीं जा सकता !


तकसीम    हुआ  और   इस      कदर      हुआ 

मुझ  को    हाथो  से  उठाया  नहीं  जा  सकता !


गुनाहों की फ़ेहरिस्त अब  किताब  हो  गई   है 

किसी मुज़रिम को अब बचाया नहीं जा सकता !


एक मेरा झूठ है जिसकी कोई इंतेहा नहीं ,

एक तेरा सच है जिसे घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता !


खवाबों को  चुरा  कर  लोग  सखीं बनते हैं यहाँ 

किसी को दुःख दे कर मुस्कुराया नहीं जा सकता !


तुम्हारे  बाद   कोई    दुनिया   ना   रही परवेज़ 

अब खुद को भी अपना बनाया नहीं जा सकता !


तुम अगर चाहो तो मुहब्बत से मेरा ख़ात्मा करना 

नफरतों से तो  मुझे  हिलाया  भी नहीं जा सकता !

    (स्वरचित)
:-  परवेज़ आलम
    गोपालगंज, बिहार।

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मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।

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December 19, 2021
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