Poetry in hindi (कविताओं का संकलन) Guest post :- तुम अगर चाहो (हिंदी कविता)/ Tum agar chaho (Hindi poem) बिहार (गोपालगंज) से परवेज़ आलम की...
Poetry in hindi (कविताओं का संकलन)
Guest post :-
तुम अगर चाहो (हिंदी कविता)/ Tum agar chaho (Hindi poem)
बिहार (गोपालगंज) से परवेज़ आलम की कविता।
तुम अगर चाहो (poetry in hindi)
है इतनी उलझन कि बताया नहीं जा सकता
दीवार मिट्टी का है मगर गिराया नहीं जा सकता !
तकसीम हुआ और इस कदर हुआ
मुझ को हाथो से उठाया नहीं जा सकता !
गुनाहों की फ़ेहरिस्त अब किताब हो गई है
किसी मुज़रिम को अब बचाया नहीं जा सकता !
एक मेरा झूठ है जिसकी कोई इंतेहा नहीं ,
एक तेरा सच है जिसे घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता !
खवाबों को चुरा कर लोग सखीं बनते हैं यहाँ
किसी को दुःख दे कर मुस्कुराया नहीं जा सकता !
तुम्हारे बाद कोई दुनिया ना रही परवेज़
अब खुद को भी अपना बनाया नहीं जा सकता !
तुम अगर चाहो तो मुहब्बत से मेरा ख़ात्मा करना
नफरतों से तो मुझे हिलाया भी नहीं जा सकता !
(स्वरचित)
:- परवेज़ आलम
गोपालगंज, बिहार।
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