साथ तुम्हारे रहना था (हिंदी कविता)/ Sath tumhare rahna tha (Hindi Poem)
साथ तुम्हारे रहना था।
साथ तुम्हारे रहना था,
संग रहने के अरमान में
ख़ामोश धीमी मौत को
गले लगा लिया मैंने।
साथ तुम्हारे हंसना था,
हंसने की चाह में
दामन को आंसुओं से
सजा लिया मैंने।
और, वो तुम थे,
जो हर चोट देकर भी,
अपने हाथ मेरे हाथों से
छुड़ाकर भी...
ना चेहरे में शिकन कोई,
ना दिल में अफ़सोस कोई लिएबड़े मासूम और अनजान बने आज भी मुस्कुरातेे हो।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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