साथ तुम्हारे रहना था (हिंदी कविता)/ Sath tumhare rahna tha (Hindi Poem)
साथ तुम्हारे रहना था।
साथ तुम्हारे रहना था,
संग रहने के अरमान में
ख़ामोश धीमी मौत को
गले लगा लिया मैंने।
साथ तुम्हारे हंसना था,
हंसने की चाह में
दामन को आंसुओं से
सजा लिया मैंने।
और, एक वो हैं
जो हर चोट देकर भी,
अपने हाथ मेरे हाथों से
छुड़ाकर भी...
ना चेहरे में शिकन कोई
ना दिल में अफसोस लिए
बड़े मासूम और अनजान
बने मुस्कुराते हैं।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)
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