Poetry in Hindi - कविताओं का संकलन।
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भटकाव (हिंदी कविता) / Bhatkaav ( Hindi poem)
अयोध्या ( उत्तर - प्रदेश ) से गरिमा सिंह की कविता।
भटकाव
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अक्सर
सीधे -सीधे
रास्ते पर चलता
हुआ आदमी
एक दिन
निकल जाता है
बहुत दूर
जहाँ से रास्ते
गंतव्य को
नहीं जाते,
वो खड़ा होकर
सोचता है
वापस आने को,
पीछे मुड़ कर
देखता है,
कदम साथ देते है
कुछ दूर वापस
आने पर एक
रास्ता और मिल
जाता है,
बहुत सोच समझ कर
उस पर बढ़ जाता है
धीरे -धीरे उसके पैर
अनजान रास्तो पर
चलने को अभ्यस्त
हो जाते है,
कहीं भी कभी भी
भटक जाते है।
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:- Garima singh(Commercial tax officer)Ayodhaya, Uttar Pradesh.
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February 09, 2022
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