क्या तुम भी ऐसे अपने गम छुपाते हो! (हिंदी कविता)/ Kya tum bhi aise apne gham chhupate ho! (Hindi poem)
(कहते हैं रोना कमज़ोरी की निशानी है, लोग दूसरों के सामने रोने से बचते हैं।लेकिन ये भी सच है कि रोना दिल के बोझ को कम करने का एक स्वाभाविक तरीका है।)
क्या तुम भी ऐसे अपने गम छुपाते हो!
जब मन हो आहत
और राहत की हो चाहत
तब सबके सामने चेहरे पर हंसी ओढ़कर
चुपके से फिर छत के कोने में छुपकर
जी भर कर रो लेते हो?
क्या तुम भी ऐसे ..
अपने गम छुपाते हो!
किसी को ना देख आंखो में नीर
दरिया बनकर मचल जाती है,
और किसी के आने की आहट से
झटपट सूखी रेगिस्तान बन जाती है।
क्या तुम भी ऐसे..
अपने गम छुपाते हो!
जब हृदय उदास होता है
रूठा रूठा सा तन मन होता है,
फिर भी अभिनय में सबको मात देकर
खुदको मस्त मौला दिखाते हो?
क्या तुम भी ऐसे..
अपने गम छुपाते हो!
कभी जब आंसू को ना मिले
बह जाने की पसंदीदा जगह
तो चुपचाप जद्दोजहद से नमी को
पीकर मुस्कुरा जाते हो?
क्या तुम भी ऐसे..
अपने गम छुपाते हो!
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)
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Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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