इंतज़ार Intezaar-hindi poem

 
Intezaar
   

इंतज़ार

कुछ हलचल सी है सीने में
सुकून कुछ खोया - सा है
जाने कैसी है ये अनुभूति 
दिल कुछ रोया - सा है
कुछ आहट सी आयी है 
और दिल कुछ धड़का - सा है।

हाथ - पाँव में हो रही कंपन-सी 
बेचैनी ये जानी पहचानी - सी है 
सांसे भी है कुछ थमी - सी 
कितने वक्त गुज़र गये इन्तजार में
मेरी आहें भी हैं कुछ जमी - सी।

पलकें अब मूँदने लगी हैं 
साँसें अब क्षीण पड़ रही हैं
अब तो आ जाओ इन लम्हों में
जाने कब लौटोगे? 
आने का वादा था और ना भी था तो,
तुम्हारा इन्तज़ार तो था.. 

सारी हदें तोड़ कर आ जाओ 
दुनिया की रस्मों को छोड़ कर आ जाओ 
चंद लम्हों के लिए ही,
अब तो आ जाओ 
मेरे लिए.. सिर्फ मेरे लिए |

(स्वरचित) 
:तारा कुमारी 



मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।

Poem
May 21, 2020
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