कुछ पंक्तियाँ "नवोदय" के नाम..
वो हसीन नवोदय की जिंदगानी
ना मिली फिर वैसी कहानीजब रखे थे अपने नन्हें कदम
नवोदय के आँगन मे
ऊँची बिल्डिंग और एक कैम्पस
ख़ुद के जैसे थे कुछ, कुछ थे निराले दोस्त
शिक्षक थे माता-पिता समान
साथी थे भाई - बहन।
सुबह सुबह मैदान का चक्कर
करते पी.ई. टी मिलकर सब
कुछ करते मन लगाकर
कुछ करते शैतानी
सुबह की धुंध मे कुछ
खुदको छुपा लेते।
भागमभाग होती फिर असेंबली की
पर पहुंच ही सब जाते
नाश्ते के लिए लगती लंबी लाईन
पर फिक्र ना होती ग़र दोस्त हो अपना
चाहे कोई कुछ कहे, बीच मे शान से घुस जाते
मिले थे चम्मच, लेकिन स्वाद
हाथ से खाने से ही आते
छुप छुपाकर खाने की थाली
हॉस्टल मे ले जाते
बीच में पड़ता वार्डेन का क्वाटर
बचते बचाते निकल जातेे।
सेल्फ स्टडी भी होती मस्ती भरी
जो स्कूल का गेट छु लेते कभी
तो लगता मैदान मार लेते
त्यौहार मिलकर सब मनाते
होली दिवाली में खूब मजे करते।
कुछ भूली बिसरी यादेंं,
दोस्तों के मिल जाने से हो जाती हैं ताजा
नाम ही काफी है 'नवोदय' का
पनप जाता है अपनापन अजब - सा।
जिस दिन निकले, पलट कर देखा स्कूल को
साथ छुट गया था सालों का।
आज भी हो जाती हैं आंखें नम
था रिश्ता मासूमियत और दिलों का।
वो हसीन नवोदय की जिंदगानी
ना मिली फिर वैसी कहानी....!!
(स्वरचित)
:तारा कुमारी
वो हसीन नवोदय की जिंदगानी
ना मिली फिर वैसी कहानी....!!
(स्वरचित)
:तारा कुमारी
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4)बेटियां

Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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life poem
April 27, 2020
2
Jai ho
ReplyDeleteहम ही नवोदय हों |
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