कहते थे साथ ना छोड़ेंगे हम Kahte the saath na chhodenge hum - Hindi poem

Kahte the saath na chhodenge hum

कहते थे साथ ना छोड़ेंगे हम 

कहते थे साथ ना छोड़ेंगे हम, 
आज वो रिश्ते यूँ रुसवा हो गए |

मेरी होंठो पे हंसी देखेंगे हर दम, 
कहने वाले आज बेगाने हो गए|

आँखों में खुशियों की चमक देने वाले, 
आज उदासी का आलम दे गए |

छोटी - सी बात का तल्ख क्यूँ इतना, 
प्यार के वादे का हर जुमला झूठे हो गए |

इश्क में जला करते थे जो दिन - रात, 
अब वो परवाने नफ़रत में जल गए |

हो जाती सुलह माफ़ी दिल में रखने से, 
वो तो अपनी जिद के पैमाने हो गए|

हार में ही होती है, मुहब्बत की जीत
जीतने की जुस्तजू में वो जुदा हो गए |

दिल  धड़कता था जिसके लिए हर पल, 
वो दिल अब खौफजदा हो गए|

पहुंच जाते थे मेरी खामोशी में जो मुझ तक, 
वही आज लफ्जों में अलविदा कह गए||

(स्वरचित)
:- तारा कुमारी

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मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।

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May 05, 2020
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