आऊँगा फिर... /Aaunga phir... A Hindi poem
प्रेम में डूबे अधीर मन को थोड़ी तसल्ली और धैर्य बंधाते हुए एक प्रियतम की अपनी प्रियतमा के लिए उभरे भावनाओं को उकेरती प्रस्तुत कविता...
आऊँगा फिर..
जो है तेरे मन में
वही मेरे मन में
न हो तु उदास
तू है हर पल मेरे पास
अभी उलझा हूँ जीवन की झंझावतों में
रखा हूँ सहेजकर तुझको हृदय-डिब्बी में
जरा निपट लूँ उलझनों से
आऊँगा फिर नई उमंग से
करना इंतजार मेरा तू
मैं जान हूँ तेरी,जान है मेरी तू
न हो कम विश्वास कभी हमारा
चाहे जग हो जाए बैरी सारा
इन फासलों का क्या है...
जब मेरे हर साँस हर क्षण में
बसी सिर्फ तू ही तू है |
(स्वरचित)
:-तारा कुमारी
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