आऊँगा फिर... /Aaunga phir... A Hindi poem
प्रेम में डूबे अधीर मन को थोड़ी तसल्ली और धैर्य बंधाते हुए एक प्रियतम की अपनी प्रियतमा के लिए उभरे भावनाओं को उकेरती प्रस्तुत कविता...
आऊँगा फिर..
जो है तेरे मन में
वो ही मेरे मन में
क्यूं है तु उदास
तू है हर पल मेरे पास
अभी उलझा हूँ जीवन की झंझावतों में
रखा हूँ सहेजकर तुझको हृदय-डिब्बी में
जरा निपट लूँ उलझनों से
आऊँगा फिर नई उमंग से
करना इंतजार मेरा तू
मैं जान हूँ तेरी,जान है मेरी तू
न हो कम विश्वास कभी हमारा
चाहे जग हो जाए बैरी सारा
इन फासलों का क्या है...
जब मेरे हर साँस हर क्षण में
बसी सिर्फ तू ही तू है |
(स्वरचित)
:-तारा कुमारी
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Tara kumari
मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।
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July 10, 2020
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