दुःस्वप्न-कोरोना से आगे (Nightmare - beyond Corona ) - Hindi poem


     दुःस्वप्न - कोरोना से आगे

है खड़ा ये विकराल सवाल
राजस्व का है ये कैसा जाल
लॉकडाउन की कहां गई सख्ती
क्या है ये लालसा पाने की तख्ती? 
सरकार ने खोला मधुशाला का द्वार  
सोशल डिस्टेंसिंग का हुआ बुरा हाल 
क्या होगा भगवन देश का-
आपदा क्या कम थी कोरोनावायरस का?
वित्तीय आपातकाल की आशंका है क्या देश को..
केंद्र ही चलाएगा क्या राज्यों को?
रिश्ते तो हो ही चुके थे ऑनलाइन
पढ़ाई भी अब हो गयी है ऑनलाइन
क्या गुरुओं का अब महत्त्व रहेगा!
जब ह्वाटसअप से देश चलेगा.. 
गरीबों की गरीबी अब और बढ़ेगी 
पूंजीपतियों की अब खूब चलेगी 
मध्यमवर्ग जब नहीं रहेगा
न्याय की लड़ाई तब कौन लड़ेगा 
निम्न या उच्च वर्ग ही जब रह जाएगी 
एक पर होगा राज, दूसरा भोगेगा विलास
जैविक हथियार  के उपयोग से होगा शक्ति-प्रदर्शन 
क्या आएगा अब तानाशाही का जेनेरेशन? 
है चिंतित करती ये दुर्दशा
मन होता विचलित, होती हताशा
है कैसी ये दुःस्वप्न.. 
क्या होगा इस देश का कल? 
है खड़ा  ये विकराल सवाल, 
है खड़ा ये विकराल सवाल..!! 

(स्वरचित) 
:-तारा कुमारी

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मैंने इस ब्लॉग / पत्रिका में हमारे आसपास घटित होने वाली कई घटनाक्रमों को चाहे उसमें ख़ुशी हो, दुख हो, उदासी हो, या हमें उत्साहित करतीं हों, दिल को छु लेने वाली उन घटनाओं को अपने शब्दों में पिरोया है. कुछ को कविताओं का रूप दिया है, तो कुछ को लघुकथाओं का | इसके साथ ही विविध-अभिव्यक्ति के अंतर्गत लेख,कहानियों,संस्मरण आदि को भी स्थान दिया है। यदि आप भी अपनी रचनाओं के द्वारा ' poetry in hindi' कविताओं के संकलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या इच्छुक हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं। (रचनाएं - कविता,लघुकथा,लेख,संस्मरण आदि किसी भी रूप में हो सकती हैं।) इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पेज about us या contact us पर जाएं।

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May 06, 2020
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