भावनायें, सपने और हक़ीक़त कभी-कभी कुछ भावनाएं बिना दस्तक दिए हमारे दिलो-दिमाग में, घर कर जाती हैं | ह में पता भी नहीं चलता, कोई कब दिल की गहराइयों में बस गया| कुछ खट्टी कुछ मीठी एहसासें इन भावनाओं को सींचती हैं और मजबूत करती जाती हैं| वक्त के साथ ये भावनाएं, एक रंगीन सपने का आकार लेने लगती हैं - जिसके आगे यह पूरी दुनिया पराई लगती है| अपना और सच्चा लगता है तो बस वह सपना जिसे पाने का जज्बा दिल में होता है, लेकिन, जाने क्यों ईश्वर ने हकीकत शब्द भी बनाया, जो सपनों को तोड़ देती है, दिल को जख्म देकर, मुस्कुराने और खुश रहने की मशवरा देती है, शायद, मतलबी दुनिया को समझने, और इंसान को मजबूत बनाने के लिए, ईश्वर ने यह सिलसिला जीवन में दिया - भावनाएं, सपने और हकीकत | जहां कड़वाहट भी है तो प्यार का अनमोल एहसास भी | More poems you may like:- 1. Lonely "present" 2.एहसास 3.नहीं हारी हूं मैं 4. निशां का सवेरा Emotions, Dreams and Reality Hindi Poem (A truth-embedded in pain and love) Kabhi kabhi kuch b